Saturday 4 August 2018

किशोर दा की आवाज के जादूगर

किशोर दा की आवाज के जादू को कौन नहीं जानता होगा? वो जिस भी गाने में अपनी आवाज देते, उस गाने में जान भर जाती। वो न केवल गायकी और एक्टिंगल के बादशाह थे बल्कि संगीतकार, लेखक और निर्माता के तौर पर भी उन्होंने महारथ हासिल कर रखी थी।


70-80 के दशक में वो सबसे महंगे सिंगर्स में से एक थे. कई लोगों का मानना हैकि राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनाने में किशोर दा के आवाज की अहम भूमिका रही.एक तो राजेश खन्ना की जबरदस्त एक्टिंग और ऊपर से किशोर दा की जादूई आवाज गाने में जान भरने का काम करती थी.



आज यानी किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था। आज भी उनके गाए हुए गीत लोगों के बीच लोकप्रिय हैं,  को किशोर दा का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर पेश हैं कुछ ऐसे गाने जो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।

Wednesday 1 August 2018


85वें जन्मदिन के खास मौके पर  मीना कुमारी
नाम, इज्जत, शोहरत, काबिलीयत, रुपया, पैसा सभी कुछ मिला पर सच्चा प्यार नहीं।उनके 85वें जन्मदिन के खास मौके पर आइए डालते हैं  ये वाक्य मीना कुमारी पर बिलकुल फिट बैठता है। जहां एक तरफ बला की खूबसूरत मीना कुमारी पर सारा जमाना फिदा था वहीं उनका दिल किसी और के लिए धड़कता था। कहते हैं जो गम की तस्वीर मीना कुमारी बना सकती थीं वह कोई और नहीं बना सकता था। लेकिन वो गम कहां से आया ये सिर्फ मीना कुमारी ही बता सकती थीं।


मीना कुमारी के अलावा एक शख्स और भी है जिन्हें उनके गम की जानकारी थी, उनकी फिक्र थी और वह शख्स हैंमीना कुमारी बॉलीवुड के आसमां का वो सितारा थीं, जिसे छूने के लिए हर कोई बेताब था। मीना कुमारी हिंदी सिनेमा में अपने समय की चर्चित अभिनेत्री थीं जिन्होंने अपनी कामयाबी का एक नायाब इतिहास रचा लेकिन पर्दे पर रिश्ते की बुनावट और गरमाहट को साकार करने वाली मीना कुमारी अपने जीवन में इस गरमाहट के लिए जीवन भर तरसती रही।


लेखक मधुप शर्मा अपनी किताब आखिरी अढ़ाई दिन में बताते हैं, मीना कुमारी जब पैदा हुईं तो उनके परिवार में कोई खुशी नहीं मनाई गई। बहन खुर्शीद के बाद मीना कुमारी के पिता को बेटे की उम्मीद थी लेकिन पैदा हुई मीना यानि कि 'महजबीं बानो'। इसलिए मीना के पिता जन्म के पांचवें दिन ही घर वालों से छुपाकर उन्हें यतीमखाने की सीढ़ियों पर छोड़ आए थे। लेकिन जब उन्होंने देखा कि मीना की मां का रो-रोकर बुरा हाल था तो वह वापस मीना को घर ले आए।



पैसों की तंगी की वजह से 4 साल की उम्र में मीना को काम करना पड़ा। इन्हीं फिल्मों ने उन्हें स्टार भी बनाया और आखिरकार फिल्म 'पाकीजा' के रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद, मीना कुमारी गंभीर रूप से बीमार हो गईं।  मधुप शर्मा ने अपनी किताब 'आखिरी अढ़ाई दिन' में मीना कुमारी की अंदरूनी शख्सियत की वे शबीहें पेश की है जिसे पढ़ने के बाद एक बार वक्त ठहर जाता है और कहता है काश ऐसा न होता।




28 मार्च, 1972 को उन्हें सेंट एलिजाबेथ के नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। मीना ने 29 मार्च, 1972 को आखिरी बार कमाल अमरोही (अपने पति) का नाम लिया, इसके बाद वह कोमा में चली गईं। मीना कुमारी महज 39 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गईं।मीना कुमारी इतनी खूबसूरत थीं कि कई एक्टर्स उनके प्यार में पागल हो गए थे। आलम तो ये था कि अपने जमाने के सुपरस्टार रहे राजकुमार, सेट पर मीना डायलॉग्स बोलती, या एक्टिंग करती, तो राजकुमार एकटक उन्हें देखते, और कई बार अपने डायलॉग्स ही भूल जाते थे।

Tuesday 31 July 2018

 31 जुलाई को बॉलीवुड एक्ट्रेस मुमताज़ का जन्मदिन होता है। एक दौर था जब चुलबुली, हंसमुख और नटखट मुमताज़ जब पर्दे पर आतीं तो दर्शकों की धड़कनें रुक जाया करतीं। हर कोई उनकी अदाओं और अदाकारी का दीवाना था। लेकिन, साठ और सत्तर के दशक की इस हसीन नायिका को आज भुला दिया गया है।31 जुलाई 1947 को मुंबई में जन्मीं मुमताज़ ने जब से होश संभाला उनका सपना एक अभिनेत्री बनने का ही था। मुमताज़ की मां नाज़ और आंटी निलोफर दोनों ही एक्टिंग की दुनिया में सक्रिय थीं, लेकिंन वे महज जूनियर आर्टिस्ट के ही रूप में काम किया करतीं। साठ के दशक में मुमताज़ ने भी फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल करने शुरू कर दिए थे।



दारा सिंह जैसे बुलंद किरदार के साथ काम करने से उस दौर की एक्ट्रेस बचतीं थीं। इसी का फायदा उठाया मुमताज़ ने और उन्होंने एक के बाद एक 16 फ़िल्में दारा सिंह के साथ कीं। क्या आप यकीन करेंगे कि इन फ़िल्मों में दस फ़िल्में जबर्दस्त हिट साबित हुईं। यहां से मुमताज़ की कामयाबी का सफ़र शुरू हो गया। दारा सिंह के बाद फिर उन्हें मिला देश के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का साथ और यह दौर अभिनेत्री मुमताज़ की ज़िंदगी का गोल्डन टाइम साबित हुआ।



राजेश खन्ना और मुमताज़ का एक साथ पर्दे पर दिखना कामयाबी की गारंटी मानी जाती थी। इस जोड़ी ने 'दो रास्ते', 'सच्चा-झूठा', 'आपकी कसम', 'अपना देश' 'प्रेम कहानी', 'दुश्मन', 'बंधन' और 'रोटी' जैसी सफल और यादगार फ़िल्मों में काम किया। कहा जाता है कि यह जोड़ी वास्तविक जीवन में भी काफी करीब थी।





साल 1971 में संजीव कुमार के साथ 'खिलौना' फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला।1996 में उन्हें फ़िल्मफेयर ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया। 2005 में मुमताज़ की बड़ी बेटी नताशा की शादी एक्टर फरदीन ख़ान से हुई। लगभग पांच साल पहले दिए एक इंटरव्यू में मुमताज़ ने कहा था कि उनके आस-पास चारों तरफ पानी ही पानी है लेकिन ग्लैमर और चकाचौंध से दूर वो खुद बहुत प्यासी हैं






सुरों के बादशाह मोहम्मद रफी साहब

सुरों के बादशाह मोहम्मद रफी साहब की आज पुण्यतिथि है। शहंशाह-ए-तरन्नुम के नाम से जाने जाने वाले मोहम्मद रफी को गुजरे आज 38 बरस पूरे हो गए हैं। आज के ही दिन रफी ने दुनिया को अलविदा कहा था। आइए आज सुनते हैं रफी साहब की बरसी पर उनके खूबसूरत नग्मों को जो आज भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं।  आज बेशक वह हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी खूबसूरत नग्में आज भी उनकी यादों को ताजा कर देते हैं। उनके गाने आज भी अक्सर लोगों की जुबां से सुनने को मिल जाता है।




मोहम्मद रफी ने 1962 में चीन के खिलाफ अपने गीतों से जंग लड़ी थी। चौंक गए यह बात जानकर, पर ये एक सच है। दरअसल, मोहम्मद रफी चीन के खिलाफ युद्ध लड़ रहे भारतीय सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए जंग के मैदान पर गए थे। रफी की जीवनी के मुताबिक, चीन ने जब हिंदुस्तान पर हमला किया तो रफी चौदह हजार फुट की ऊंचाई स्थित सांगला गए थे और देशभक्ति के गीत गाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाया था।

रफी के चाहने वालों का कहना है कि गायकी को उनकी देन इतिहास के पन्नों में दर्ज रहेगी। लोगों के दिलों में याद रहेगी, लेकिन इस महान नायक का सरकार सम्मान नहीं कर पा रही है। मोहम्मद रफी का नाता गुरुनगरी अमृतसर से है, लेकिन उनको शहर में कोई यादगार नहीं मिल सकी है। अपनी आवाज से आज भी रफी भले ही जिंदा हैं, लेकिन अमृतसर जिले में आज तक उनके नाम से कोई सरकारी संस्थान नहीं खोला गया है।




पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में  24 दिसंबर 1924 को हाजी अली मोहम्मद के परिवार में मोहम्मद रफी का जन्म हुआ था। हाजी अली मोहम्मद के छह बच्चों में से रफी दूसरे नंबर पर थे। उन्हें घर में फीको कहा जाता था। गली में फकीर को गाते सुनकर रफी ने गाना शुरू किया था। 31 जुलाई 1980 को रमजान के महीने से दुनिया से विदा हो गए थे। रफी साहब ने अपने गांव में फकीर के गानों की नकल करते-करते गाना गाना सीखा था।

Saturday 28 July 2018

मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम 

भारत रत्न' से नवाजे गए पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आज ही के दिन '27 जुलाई
2015' को आईआईटी गुवाहाटी में संबोधन के दौरान देहांत हो गया था। दुनिया से चले जाने के बाद भी उनके
किए गए काम, उनकी सोच और उनका संपूर्ण जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत है। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडू के रामेश्वरम् के एक गांव में हुआ था।उनके परीवार में पांच भाई और पांच बहन थी और उनके पिता मछुआरों को बोट किराए पर देकर घर चलाते थे।


उनके पिता ज्यादा पढ़े-लिखे तो नहीं थे लेकिन उंची सोच वाले व्यक्ति थे। कलाम का बचपन आर्थिक तंगी में बीता।डॉक्टर अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे जो बनना तो पायलट चाहते थे लेकिन किन्ही कारणों से पायलट नहीं बन पाए। फिर हार नहीं मानते हुए जीवन ने उनके सामने जो रखा उन्होंने उसे ही स्वीकार कर साकार कर दिखाया। उनका मानना था कि जीवन में कुछ भी यदी आप पाना चाहते हैं तो आपका बुलंद हौसला ही आपके काम आएगा।



वे पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे।
अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम था।कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।



देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद उन्होंने देश के हर वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊंचा कर दिया।कलाम को विधार्थियों के प्रति विशेष प्रेम था। जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को 'विधार्थी दिवस' के रुप में मनाने का निर्णय लिया।अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्र निर्माता में से एक है, उन्हें पीपुल्स प्रेसीडेंट भी कहा जाता है।



उनकी लिखी हुई पुस्तकें विंग्स ऑफ फायर, इंडिया 2020, इग्नाइटेड मांइड, माय जर्नी आदि है। अब्दुल कलाम को 48 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन से डाक्टरेट की उपाधि मिली है।भारत में अब्दुल कलाम उन चुनिंदा लोगों में से जिन्हें सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए।27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहटी में संबोधित करते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और देश के महान राष्ट्र निर्माता का देहांत हो गया।




B'DAY SPECIAL-AYESHA JHULKA


Happy Birthday Dhanush

साउथ एक्टर धनुष का आज जन्मदिन है। धनुष 35 साल के हो गए हैं। धनुष साउथ इंडियन सिनेमा के बड़े सुपरस्टार में से एक हैं। दक्षिण भारत में तो धनुष फेमस थे ही लेकिन बॉलीवुड की 'रांझणा' करने के बाद हिंदी ऑडियंस ने भी उन्हें काफी पसंद किया। इसके अलावा धनुष की एक और पहचान है वो ये कि वो साउथ सिनेमा के भगवान माने जाने वाले सुपरस्टार एक्टर रजनीकांत के दामाद हैं।


किशोर दा की आवाज के जादूगर किशोर दा की आवाज के जादू को कौन नहीं जानता होगा? वो जिस भी गाने में अपनी आवाज देते, उस गाने में जान भर जाती। व...