गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा और बसपा के साथ आने के बाद कांग्रेस पर भी दबाव बढ़ गया है। पार्टी के अंदर एक बड़ा तबका इन दोनों सीट पर अपने उम्मीदवारों को वापस कर सपा के समर्थन की वकालत कर रहा है। इन नेताओं की दलील है कि इससे 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की महागठबंधन की कोशिशों को बल मिलेगा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर में पार्टी उम्मीदवार जीत से काफी दूर हैं। ऐसे में पार्टी अपने उम्मीदवारों का वोट सपा प्रत्याशियों को ट्रांसफर कर देती है, तो इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। कांग्रेस के लिए इस वक्त संगठन के मजबूत करने के बजाए भाजपा को हराना ज्यादा अहमियत रखता है। इसलिए, पार्टी को इस पर विचार करना चाहिए। कांग्रेस ने फूलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से डॉ. सुरहिता करीम को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि गोरखपुर में मुस्लिम उम्मीदवार के चलते मुस्लिम वोट बिखर सकता है। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। ठीक इसी तरह फूलपुर में निर्दलीय अतीक अहमद के चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अतीक मुस्लिम वोट में सेंध लगाते हैं, तो भी इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। लेकिन, कांग्रेस साथ आ जाती है तो भाजपा विरोधी वोट एकजुट हो जाएगा। भाजपा के लिए जीत आसान नहीं होगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस के लिए इन दोनों उपचुनावों में उम्मीदवार घोषित करना जरूरी नहीं था। पार्टी को पहले ही इन दोनों सीट पर सपा के समर्थन का ऐलान कर देना चाहिए था। क्योंकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। इससे कांग्रेस के 2019 के महागठबंधन की राह मजबूत होती।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर में पार्टी उम्मीदवार जीत से काफी दूर हैं। ऐसे में पार्टी अपने उम्मीदवारों का वोट सपा प्रत्याशियों को ट्रांसफर कर देती है, तो इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। कांग्रेस के लिए इस वक्त संगठन के मजबूत करने के बजाए भाजपा को हराना ज्यादा अहमियत रखता है। इसलिए, पार्टी को इस पर विचार करना चाहिए। कांग्रेस ने फूलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से डॉ. सुरहिता करीम को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि गोरखपुर में मुस्लिम उम्मीदवार के चलते मुस्लिम वोट बिखर सकता है। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। ठीक इसी तरह फूलपुर में निर्दलीय अतीक अहमद के चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अतीक मुस्लिम वोट में सेंध लगाते हैं, तो भी इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। लेकिन, कांग्रेस साथ आ जाती है तो भाजपा विरोधी वोट एकजुट हो जाएगा। भाजपा के लिए जीत आसान नहीं होगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस के लिए इन दोनों उपचुनावों में उम्मीदवार घोषित करना जरूरी नहीं था। पार्टी को पहले ही इन दोनों सीट पर सपा के समर्थन का ऐलान कर देना चाहिए था। क्योंकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। इससे कांग्रेस के 2019 के महागठबंधन की राह मजबूत होती।
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