World Hepatitis Day 28 July 2018
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 33 फीसदी हेपेटाइटिस-बी इंफेक्शन और 42 फीसदी हेपेटाइटिस-सी इंफेक्शन के लिए असुरक्षित इंजेक्शन जिम्मेदार है. भारत भी उन देशों में शामिल है, जहां इंजेक्शन का असुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में यह गंभीर चिंता का विषय है. यह जानकर हैरानी होगी कि देश के बहुत से अस्पताल और क्लिनिक आज भी एक ही सीरिंज का दोबारा इस्तेमाल कर रहे हैं. एक ही सीरिंज का बार-बार प्रयोग हेपेटाइटिस की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है।
हेपेटाइटिस के मामलों को रोकने के लिए एक इंजेक्शन का एक ही बार इस्तेमाल होना बहुत जरूरी है. इसलिए सरकारों को इस ओर तवज्जो देनी चाहिए कि इंजेक्शन में ऑटो डिसेबल (एडी) सिरिंज का इस्तेमाल हो, क्योंकि एडी सिरिंज का दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता।एडी सिरिंज के बारे में सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डॉ. अनिल अरोड़ा कहते हैं, “एडी सिरिंज में ऐसी व्यवस्था है कि सिरिंज का प्लंगर लॉक हो जाता है या टूट जाता है. इस वजह से एडी का दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता।
वायरल हेपेटाइटिस का ब्लड की जांच द्वारा पता चलता है. आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है जिससे एंटीबॉयोडिज उत्पन्न होते है. इसी कारण खून की जांच में वायरस होने का पता चलता है।
हेपेटाइटिस की रोकथाम पर बात करते हुए डॉ मोहन ने कहा, “इस बीमारी की रोकथाम के लिए लोग संक्रमित सुई का प्रयोग न करें, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचें और नीडल स्टिक चोटों से बचना जरूरी है. वैसे हेपेटाइटिस को रोकने के लिए टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भारत में भी हेपेटाइटिस रोकने के लिए इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा गया है.” भारत में 4 से 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी बीमारी से ग्रस्त हैं.
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